Know from us, why your children are weak in studies? Do not like studying? Most of the time stay out of home with friends? On which route?
"Gyangyanvisheshattu Margaamarga Pravrattamah"
Children walking on the path of knowledge are pleasurable and the children running on the path of ignorance are harmful. Education or illiteracy is governed by which planet Yoga? Who do obstacles in planetary education? And what is the solution for their peace? It has been said in "Vishheshik Darshan" - karnabhavat karyabhavah.. For example, water is the root cause of the rain.The sun's heat and evaporation are the instrumental cause. Cloud, air, friction are the by-products. Rainfall occurs with the arrival of these three. In the absence of water, there will be neither vaporization, neither cloud nor rain. Therefore, water is the root cause. Similarly, the root cause of obstruction in education is the planetary constellation of the horoscope. Therefore, rainfall of knowledge is possible with the proper study of the planets in the horoscope.
हमसे जानें क्यों आपकी संतान पढ़ाई में कमजोर है? पढ़ाई में मन नहीं लगता? अधिकतर दोस्तों के साथ घर से बहार रहते है? किस मार्ग पर चल रहे है?
"ज्ञानज्ञानविशेषात्तु मार्गामार्ग प्रवृत्तमः"
ज्ञान के मार्ग पर चलने वाली संतान सुखकारक एवं अज्ञान के मार्ग पर चलने वाली संतान दुखकारक होती है। शिक्षा या अशिक्षा किन ग्रह योगो से होती है?कोन से ग्रह शिक्षा में रुकावट डालते है? और उनकी शांति का उपाय क्या है? "वैशेषिक दर्शन" में कहा गया है - कारणाभावात करयाभावः।। उदाहरणस्वरूप वर्षा के लिए जल मूल कारण है। सूर्य का ताप और वाष्पीकरण निमित्त कारण है। मेघ, वायु, घर्षण संवायकारण (बाई प्रोडक्ट) है। इन तीनो के मिलने पर ही वर्षा होती है। जल के आभाव में न तो वाष्पीकरण होगा, न मेघ बनेगे, न वर्षा होगी। इसलिए जल ही मूल कारण है। इसी तरह शिक्षा में बाधा का मूल कारण जन्मकुंडली के ग्रह-नक्षत्र ही हैं। अतः ग्रहों के समुचित उपाय के द्वारा शिक्षा में ज्ञान रूपी जल की वर्षा संभव है।
रत्न को ज्योतिष में मणि के नाम से भी जाना जाता है। सभी नवग्रहों से सम्बंधित रत्न एवं उपरत्न धारण करने के स्थान पर यदि सम्बंधित ग्रहों की वनस्पति, विशेषकर उस वनस्पति की जड़, विधिवत आमंत्रित एवं अभिमंत्रित करके धारण की जावे तो रत्नों के सामान प्रभावशाली परिणाम देती है। इन्हे वनस्पति-रत्न के नाम से जाना जाता है। इसे ताबीज में, गले या भुजा पर, धारण किया जा सकता है। किन्तु यह कार्य दक्ष ज्योतिषी के मार्गदर्शन में ही किया जाना चाहिए।
The Gem is also known in the name of Mani in astrology. Instead of holding gems and jewels related to all the Navagrahas, if the plants of related planets, especially the root of that vegetation, are duly invited and celebrated, they will give impressive results as well as gems. They are known as Botanic gems. It can be held in the talisman, on the neck or the arm. But this work should be done only under the guidance of a skilled astrologer.
In the scriptures, the child who crosses the father from the hell, named Punk, is called the son. The absence of the offspring in the scriptures is the result of the curse received from ancestral karma. 18 types of curses have been described in the scriptures. Astrology states that the reason for not being a child is a curse? Is impotence? Or is sterility? Measures to overcome these obstacles are also explained in astrology. Continuous research is continuing on this. The guidance of the scientific and tested remedies is provided free by astrological method.
शास्त्रों में, जो संतान पुं नामक नर्क से पिता को पार करवाती है उसे ही पुत्र कहा गया है। शास्त्रों में संतान का न होना भी पूर्वजन्मकृत कर्म से प्राप्त श्राप का फल होता है। शास्त्रों में १८ तरह के श्राप वर्णित किये गए है। ज्योतिष यह बताता है कि संतान न होने का कारण कोई श्राप है? नपुंसकता है? अथवा बाँझपन है? इन बाधाओं को दूर करने के उपाय भी ज्योतिष शास्त्र में बताये गए है। इस पर लगातार अनुशंधान जारी है। संतानहीनता से मुक्त होने के शास्त्रोक्त एवं परीक्षित उपायों का मार्गदर्शन ज्योतिषीय पद्धति से प्रदान किया जाता है।
जन्मकुंडली में जब शनि चंद्रराशि के एक राशि पहले गोचर करता है तो जातक पर साढ़ेसाती का प्रभाव आ जाता है। शनि की साढ़ेसाती शुभ एवं अशुभ दोनों ही तरह के प्रभाव देती है। जन्मपत्रिका ही वह आईना है जिससे यह ज्ञात हो सकता है कि शनि की साढ़ेसाती शुभ होगी या अशुभ? शनि की साढ़ेसाती से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि शनि न्याय का देवता है। यदि आपके द्वारा कोई गलत कार्य नहीं किया जा रहा है तो साढ़ेसाती का कष्ट सहनीय होता है। इसके अतिरिक्त कई शास्त्रोक्त उपायों के द्वारा शनिदेव को प्रसन्न करके साढ़ेसाती के कुफल को काम किया जा सकता है। संसार में जहाँ जहाँ कष्ट का कारण है वहीँ कष्टों के निवारण के उपाय भी शास्त्रों में बताये गए हैं। अतः बुद्धिमान व्यक्ति को वर्तमान कष्टों के निवारण के उपाय अवश्य करना चाहिए।
Sadesati starts when Saturn entered the zodiac sign immediately before the zodiac sign of the Moon at the time of the birth of the individual. The Sadesati will continue while Saturn transits over this sign and the next two signs, i.e. the birth sign and the sign after it. Sadesati gives both effects of good and bad. A horoscope is the mirror from which it can be known that Sadesati will be auspicious or inauspicious? There is no need to be afraid of Saturn's Saturn, because Saturn is the god of justice. If you are not doing any wrong thing, then the pain of Sadhasati is tolerable.Vedic astrology also prescribes certain remedies and mantras that can be recited to please the lord Saturn and limit the effect of Saturn's Sadesati. Therefore, the wise person must take measures for the prevention of current sufferings.
The defects or curses in this birth due to the defects of past prenatal actions, which are mainly patriarchal or paternal and Sarpdosas, which primarily constitute restrictive progeny. Scientific measures of peace of these flaws and the loss of 12 types of kale Sarp dosha formed in the horoscope such as inheritance of non-inheriting, litigation, hunting of enemy machinery, endless series of diseases and debt, constant discord in the house, and betrayal of close relatives Simple solution for getting rid of
पूर्व जन्मकृत कर्मों के दोष से इस जन्म में आने वाले दोष या श्राप, जिनमे मुख्यतः पितृश्राप या पितृदोष एवं सर्पदोष हैं जोकि मुख्यरूप से संतान प्रतिबंधक योग बनता है। इन दोषों की शांति के शास्त्रोक्त उपाय तथा कुंडली में बनने वाले १२ प्रकार के कालसर्पदोष से होने वाले नुकसान यथा - पैतृक संपत्ति न मिलना, मुकदमेबाजी, शत्रुसणयंत्रो का शिकार, रोग एवं ऋण का अंतहीन सिलसिला, घर में हमेशा कलह, तथा निकट सम्बन्धियों का विश्वासघात, से मुक्ति पाने के सरल उपाय।
जातक की कुंडली में यदि ३ या ३ से अधिक ग्रह वक्री, अस्त या नीच हों तो उसके उत्कर्ष में बहुत समस्याएं आती हैं। जीवनयापन के लिए भी उसे कठोर संघर्ष करना पड़ता है। इन ग्रहों का जीवन के किस पक्ष पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा यह जानना अत्यंत आवश्यक रहता है। ज्योतिष शास्त्र में इन ग्रहों को स्वस्थ बनाने के कई शास्त्रोक्त उपाय हैं, जिनको करने से कई समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
In the horoscope of a Jatak, if 3 or more planets are vakri, neech or Ast, then there are many problems in its evolution. He also has to struggle hard for life. It is very important to know which side of these planets will have a negative impact on the side of life. There are many scientific measures to make these planets healthy in astrology, who can be relieved of many problems.
Marriage is the main sacrament among the sacraments mentioned in Indian culture. The aim of the marriage is to curb sexual harassment in society, to stop voluntary and to build a healthy and happy society. In the extension of the Lord, in the Lord's methodology, marriage is the name of cooperation and participation by a system of man and women.
It is very important to know from the horoscope that marriage will happen or not happen? How much delay in marriage? The ruling planet for marriage, the appropriate age, delay in the marriage, long delay in the marriage? What is early marriage yoga? How far will it be from the birthplace? How will be the life partner? And when will the wedding happen?
विवाह भारतीय संस्कृति में बताये गए संस्कारों में से प्रमुख संस्कार है। समाज में यौनदुराचार पर अंकुश लगाना, स्वेच्छाचार को रोकना तथा एक स्वस्थ एवं सुखी समाज का निर्माण विवाह का उद्देश्य है। सृस्टि के विस्तार अर्थात प्रभु की कार्यप्रणाली में विधिपूर्वक स्त्री-पुरुष द्वारा सहयोग एवं सहभागिता का नाम ही विवाह है। शादी, विवाह, उद्वाह, परिणय, परिणयन, उपयाम, उपयमन, पाणिग्रहण आदि शब्द भिन्नार्थक होते हुए भी पर्यायवाचक है।
विशेषण बिशिष्टं वा वहनं विवाहः
इन निरुक्ति तथा व्युत्पत्ति (वि - वह - धज) के द्वारा निष्पन्न यह सब्द षोडश संस्कारो में एक प्रशिद्ध एवं मुख्य संस्कार विवाह का वाचक है जो सभी धर्म, जाती और देशों में मान्य है। मुख्य बात ये है की जन्मकुंडली से यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि विवाह होगा की नहीं? विवाह में कितना विलम्ब है? इसके कारक ग्रह, उपयुक्त आयु, बिलम्ब से विवाह, एवं अत्यंत बिलम्ब से विवाह क्यों होगा? कारण एवं निवारण, साथ ही यह भी जानें कि विवाह किस दिशा में होगा? जन्मस्थान से कितने दूर होगा? जीवनसाथी कैसा मिलेगा? तथा विवाह किस समय होगा?